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umme salma

Abstract

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umme salma

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मैं आज की नारी हूं

मैं आज की नारी हूं

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जन्नत से नेमत बनके उतारी हूं

खुशियों की मैं किलकारी हूं

स्नेह की मैं पिटारी हूं

प्रेम की मैं फुलवारी हूं

भगवान मैं तेरी आभारी हूं

कि मैं आज की नारी हूं।


मात पिता की न्यारी हूं

पती की मैं प्यारी हूं

दोस्तों की मैं दुलारी हूं

दुश्मनों पर मैं भारी हूं

भगवान मैं तेरी आभारी हूं

कि मैं आज की नारी हूं।


कलमश्ता से मैं आरी हूं

मैं अधूरी नहीं, मैं सारी हूं

मत समझना के मैं बेचारी हूं

खुद से कइयों को मैं सुधारी हूं

भगवान मैं तेरी आभारी हूं

कि मैं आज की नारी हूं।


प्यार से सींचती मैं रिश्तेदारी हूं

गर्व से निभाती मैं ज़िम्मेदारी हूं

कर्म तट पर ज़िन्दगी गुज़ारी हूं

देश पर अपने मैं भी वारी हूं

भगवान मैं तेरी आभारी हूं

कि मैं आज की नारी हूं।


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