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Reshma Majumder

Drama

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Reshma Majumder

Drama

हम

हम

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कुछ अंगारों पे चलते हैं

कोई अंगारों से खेलता है

हम तो ठहरे अनारी

राख से अपना दिल बहलाते हैं


कुछ खंजरों से डरते हैं

कोई चाकू से वार करता हैं

हम अकेले बैठे

बहते खून में अपना अक्स ढूंढते हैं


वक़्त की तराज़ू पे तोलते हैं उसे

जिसका किसीके नज़र में कोई मोल न हो


हम वह है जिसकी

किसी को भी न है कोई फ़िक्र

युग है हम जिसका

अंत होके भी अंत न हो।


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