ज़िन्दगी गुलज़ार है
ज़िन्दगी गुलज़ार है
ज़रा सा मुस्कुरा ले,
ज़रा सा जिले,
ज़रा गुनगुना ले,
महसूस कर ले यह ख़ुशी,
दिल की बंद दरवाजें खोल
तू लेके यह चाबी।
बारिश की पहली बुंदे,
गीली मिटटी की पहली खुशबु,
झरनों में जो बनी इंद्रधनुष,
कबूतरों की जाने कैसी गुफ़्तगू,
तूने क्यों है खुद को रोका,
आ जिले यह पल अभी,
दिल की बंद दरवाजें खोल,
तू लेके यह चाबी।
साहिल की चुप्पी तोड़ती,
सागर की चंचल लहरें,
रात के ढलने का पैगाम,
लाये मुर्गों की कुकड़ू कु
घड़ी की सुईं दौड़ के
टिक टिक टिक बोले।
बुरा वक़्त भी गुज़र जायेगा कभी,
ग़म को भुलाये आगे बढ़ना है ज़िन्दगी,
सितारों की महफ़िल भी,
तुझसे यही कह रही,
अब तो दिल की बंद दरवाजें खोल
तू लेके यह चाबी।