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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Fantasy Inspirational

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

Romance Fantasy Inspirational

हम तुम

हम तुम

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सुनो प्रिये 

हम तुम दोनों दो जिस्म मगर एक जान हैं 

ऐसा लगता है जैसे कि जन्मो से पहचान है 


तुम रूह की तरह मुझमें कहीं बसी हुई हो 

हवा में सुगंध की तरह मुझमें छुपी हुई हो 


रूह के बिना ये शरीर बेजान सा रहता है

तेरे बिना मेरा दिल कहीं भी नहीं लगता है 


शरीर के बिना ये रूह भी भटकती रहती है 

परेशान होकर इधर-उधर लटकती रहती है 


हम साथ साथ हैं तो जीवन के सारे सुख हैं

वरना तो इस दुनिया में बस दुख ही दुख हैं 


हमारी नोकझोंक से भी प्यार ही टपकता है

ये तो प्रेम पियाला है जो बरबस छलकता है 



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