हम सुलझे हुए हैं
हम सुलझे हुए हैं
हम सुलझे हुए से घूमते हैं
पर अंदर से हम सब अनसुलझे खोए हुए से होते हैं
एक दूसरे की कमियों का मज़ाक बनाते हैं
ऊपर वाला हंसता है और कहता तुझे कहा पूरा बनाया है
खामियों को छिपाने से कोई हल नहीं मिलता
उन्हें जग जाहिर हो कर अपनाने मे ही भलाई है।