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aazam nayyar

Abstract Fantasy Children

4  

aazam nayyar

Abstract Fantasy Children

हम सफ़र

हम सफ़र

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ग़ज़ल 


वो बने जो मेरा चेहरा हम सफ़र 

प्यार का हो रोज़ चर्चा हम सफ़र  


साथ जिसके था सफ़र मेरा कटा 

याद आये वो हर लम्हा हम सफ़र


तू बना अपनें सफ़र का ही साथी 

कट रहा है व़क्त तन्हा हम सफ़र  


छोड़ कर वो बीच सफ़र में ही गया 

बेवफ़ा वो देख निकला हम सफ़र 


हाले दिल मैं भी सुनाता उसको ही 

जीस्त में मेरी जो होता हम सफ़र


आशना भी तो नहीं कोई यहाँ 

है यहाँ तो अपना रस्ता हम सफ़र 


हिज्र में उसकी न यूं जलता आज़म 

वो अगर बनता जो मेरा हम सफ़र।


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