हम शक्ल
हम शक्ल
हम शकल भी
हम ख़याल भी
हमसफ़र भी
हम आवाज भी
ये जो तिलस्म सा लग रहा है
कितना सहज है।
आदमी इतना बदल गया है
आप उसकी कल्पना नहीं कर सकते।
कोई इसे चमत्कार कहता है
कोई सफेद झूठ।
पर ये है अस्तित्व में।
हम शकल भी
हम ख़याल भी
हमसफ़र भी
हम आवाज भी
ये जो तिलस्म सा लग रहा है
कितना सहज है।
आदमी इतना बदल गया है
आप उसकी कल्पना नहीं कर सकते।
कोई इसे चमत्कार कहता है
कोई सफेद झूठ।
पर ये है अस्तित्व में।