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GOPAL RAM DANSENA

Abstract Tragedy

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GOPAL RAM DANSENA

Abstract Tragedy

हम देखते ही रह गए

हम देखते ही रह गए

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नज़रों का असर इस कदर हो गया।

देखते देखते दिल हमारा खो गया ।।

नजर की भाषा में वो सब कुछ कह गए।

इश्क का ये जलवा हम देखते ही रह गए ।।


ख़्वाब की डोर से बंधा फुदकता रहा जियरा।

एक झलक के खातिर हर दर्द लगे प्यारा ।।

नजर आये वो तब, जब सब्र की मंज़िल ढह गये।

वो बेदर्दी हमदर्द हुआ हम देखते ही रह गए ।।


उमंग का रंग देखो कहीं इस कदर चढ़ता है ।

जितना रंग भरो इसमें दूजे पल ही उड़ता है ।।

आसमां में उड़ते गुलालों को हम इंद्रधनुष कह गए।

उनका दामन बेदाग निकला हम देखते ही रह गए।।


वो खुमार निकल गया अब गिला शिकवा बाकी है।

कसक सी होती है जब हमने जीवन को झांकी है।।

दिल के कोने में दफनाये हर दर्द हम अकेले सह गये।

जीवन हर लम्हा निकल गया हम देखते ही रह गए।।



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