हम बच्चे हैं नूर जहाँ के
हम बच्चे हैं नूर जहाँ के
हम बच्चे हैं नूर जहाँ के
नन्हे नन्हे हाथों से लाए हैं
प्यार की सौगातें।
जिंदगी जीएंगे
जीने के अर्थ के साथ।
प्यार का बीज बोएँगे,
पाएंगे हर अपने का साथ।
करतें हैं ये वादा हम
नन्हे बच्चे आप से।
निराशा को पूर्ण विराम
लगा देंगे आज से।
जीने का हुनर सीखा देंगे
हर रुठे मन को मना लेंगे।
मानवता को ही बनाएँगे
सबसे बड़ा धर्म।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई
होगा नहीं किसी को भी कोई गम।
हाथों की लकीरें हम बनाएंगे,
चिंगारी हैं हम
आप सबकी किस्मत लिखकर जाएंगे।
हम जग पर छाने आए हैं,
एक ही पुकार पर
सबका जीवन सँवारने आए हैं।।