VIVEK AHUJA
Classics
कभी होती थी देश में,
भाषा हिंदी प्रधान।
धीरे-धीरे खो रही,
अपनी यह पहचान।
कदम कदम पर हो रहा,
अब इसका अपमान।
जगह जगह हो गया,
कम इसका सम्मान।
डिजिटल युग में हो रहा,
नहीं इसका उत्थान।
आंग्ल भाषा सबको प्रिय,
इसका कौन करे गुणगान।
माँ
होली का हुड़द...
हिंदी
वो बचपन वो नटखट खेल वो चहल-पहल याद आते हैं वो पल, याद आते हैं वो पल। वो बचपन वो नटखट खेल वो चहल-पहल याद आते हैं वो पल, याद आते हैं वो पल।
निश्शंक होय बढ़ते जो, मंजिल पाते हैं बल-बूते पर अपने वो अव्वल आते हैं। परिचय श्रेष्ठ बनाना हो त... निश्शंक होय बढ़ते जो, मंजिल पाते हैं बल-बूते पर अपने वो अव्वल आते हैं। परिच...
बारिश की बूँदों में यादों का घुलना जैसे कुछ बिसरे पलों से मिलना। बारिश की बूँदों में यादों का घुलना जैसे कुछ बिसरे पलों से मिलना।
दुखभंजन बस तुझे मनाऊँ नम: शिवाय। दुखभंजन बस तुझे मनाऊँ नम: शिवाय।
राधा बोली सुन रे मेघा कान्हा की कुछ बात कहो। तुम तो रहते मनमोहन संग अपने कंठ मुझे लगा लो। राधा बोली सुन रे मेघा कान्हा की कुछ बात कहो। तुम तो रहते मनमोहन संग अपन...
अब भी मिलती है प्यारी दोस्त वो उसकी हँसी और निखरती जाती है। अब भी मिलती है प्यारी दोस्त वो उसकी हँसी और निखरती जाती है।
मेरे गाँव मे आपसी सामंजस्य वाले लोग मिलेंगे न कि आग मे घी डालने वाले लोग मिलेंगे। मेरे गाँव मे आपसी सामंजस्य वाले लोग मिलेंगे न कि आग मे घी डालने वाले लोग मिले...
दूरियाँ जो अब बढ़ती जा रही हैं बेल की तरह दूरियाँ जो खत्म होने का नाम ही नहीं लेतीं। दूरियाँ जो अब बढ़ती जा रही हैं बेल की तरह दूरियाँ जो खत्म होने का ...
धीरे से तोड़ चुप्पी अश्कों ने धीमे से चूम लबों को कह दिया अरे पगले, यह तो सावन का मौसम ... धीरे से तोड़ चुप्पी अश्कों ने धीमे से चूम लबों को कह दिया अरे पगले, ...
गीत ग़ज़ल लिखी कहानी अभी अभी। गीत ग़ज़ल लिखी कहानी अभी अभी।
फूलों की जगह दिल बिखरे हैं रास्ते पर। कोई तेरे इंतजार में नज़रें बिछाये बैठा है। फूलों की जगह दिल बिखरे हैं रास्ते पर। कोई तेरे इंतजार में नज़रें बि...
जाग कर चाँद को देखना अच्छा लगता था कभी, अब उस पर दाग नज़र आता है, शायद उसकी गलती नहीं वहां ... जाग कर चाँद को देखना अच्छा लगता था कभी, अब उस पर दाग नज़र आता है, शायद उसकी...
और एक बार, जिंदगी से विदा लेने से पहले, बचपन से मुलाकात हो गई। और एक बार, जिंदगी से विदा लेने से पहले, बचपन से मुलाकात हो गई।
जीवन का ये चक्र हमें समझना है। और दुनिया को इसके बारे में बताना है। जीवन का ये चक्र हमें समझना है। और दुनिया को इसके बारे में बताना है।
इस पत्थर की दुनिया में, मेरा कांच का महल था यारों ! इस पत्थर की दुनिया में, मेरा कांच का महल था यारों !
पर्वत शिखर पर, मेघ नाद पर, नृत्य निरंतर, नदियों का जल श्रोत बना, अधः गमन कर। पर्वत शिखर पर, मेघ नाद पर, नृत्य निरंतर, नदियों का जल श्रोत बना, अधः गमन कर।
इस समाज का आईना बनूंगी, अगर आज मैं ख़ामोशी से सब सह लूँं तो बेटियों को न्याय नहीं... इस समाज का आईना बनूंगी, अगर आज मैं ख़ामोशी से सब सह लूँं तो बेटिय...
सत्ता का मद वोटों की सियासत घटता कद। सत्ता का मद वोटों की सियासत घटता कद।
वो पत्थर है फिर भी करूँ गुफ्तगू मैं मुकद्दर से दिल अब भी हारा नहीं है। वो पत्थर है फिर भी करूँ गुफ्तगू मैं मुकद्दर से दिल अब भी हारा नहीं है।
खेतों को भी भाये बारिश, नदियॉं भी भर जाये। मोर को भी नचाये बारिश, प्रीत खूब बरसायें। खेतों को भी भाये बारिश, नदियॉं भी भर जाये। मोर को भी नचाये बारिश, प्रीत...