हिन्द
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आओ आज तुम्हे मैं हिन्द का एक सार बताता हूँ
इस भूगोल का वर्तमान और इतिहास सुनाता हूँ ,
सिन्धु घाटी एक सभ्यता यहाँ बहुत पुरानी है
ऋगवेद सनातन धर्म की एक अद्भुत सी निशानी है।
बतलाऊ तुम्हे नाम के इतिहास की कुछ पावन गाथा
ईरानियों ने सिन्धु घाटी की बस्ती को हिन्द कहा था,
भरत को भारतवर्ष का सम्राट बताया जाता था
आर्य काल में क़बीलों को भी भारत बुलाया जाता था।
गौतम बुद्ध और महावीर का काल यहाँ पर आया था
जिन्होंने कर्म और मोक्ष का द्वार हमें दिखलाया था,
हिन्दु मुस्लिम सिख इसाई फर्क यहाँ न छांटे थे
गुरु नानक ने गुरूवाणी के सार यहाँ जब बाँटे थे।
मुगलों के शासन में भी यहाँ युद्धों की यूँ मार रही
लड़े वीर शिवाजी तो वीर प्रताप की भी हुँकार रही ,
गौरा बादल के धड़ की गाथा भी तो इतिहास बनी
जोहर की अग्नि वीरांगनाओ की चुनर सी लाल रही।
यहाँ लक्ष्मीबाई, चेन्नमा और हजरत जैसी वीर भी थी
जो नारी थी पर काम नाम से एक शमशीर भी थी,
हल्दीहाटी युद्ध और जलियावाला हत्याकाण्ड हुआ
इस रक्त सिंचित भूमि पर गौरवगाथा का निर्माण हुआ।
कई अनगिनत वीर यहाँ जो इतिहास की गाथा गाते है
भारत की महिमा और गौरव की बात सुनाते है।
भगत सुख राजगुरु और यहाँ वीर आज़ाद हुए
सावारकर और लोह पुरुष पटेल भी माँ के लाल हुए
21 सिक्खों की बहादूरी का भी तो डंका बोला था
जब लड़ मरे हुँकार लिए मिट्टी में लहु को घोला था।
कितने पन्ने पलट हमने ये आज़ादी है पायी
विभाजन और धर्मो की क्यों होती अब लड़ाई,
कुचले पन्नों पर नेताओ के हिस्से का अब तांता है
एक ने ये धरती तो एक ने जातियो को बांटा है।
कहाँ गयी वो धूल जो वीरों को पैदा करती थी
मंदिर मस्जिद नहीं जो दिलों को जोड़ा रखती थी,
यहाँ तो जंग छिड़ी है बस अपना नाम बनाने की
सब वीरों की ज्वाला भूल खुद में मैं जगाने की।
आज का युग है राम बिना जो पुरुषोत्तम कहलाए थे
जो अच्छाई की जीत लिए एक अहम को मार कर आये थे,
अहम आज की इच्छा है और धरम का कहीं विनाष हुआ
वो चिता अब चिता नहीं, हर घर में एक शमशान हुआ।
आओ आज तुम्हे मैं हिन्द का एक सार बताता हूँ
खत्म हुआ अतीत अब मैं भविष्यकाल सूनाता हूँ ।
हर कलयुग के विनाष बाद एक सतयुग तो आयेगा
हिन्द होगा वही विशाल, महासागर भी शीश झुकायेगा,
गर्व होगा मेरी मिट्टी में और कर्म भी वापस आएंगे
देशभक्ति होगी दिलों में राष्ट्रगीत गुनगुनायेंगे।
राष्ट्रवाद होगा धरम और ना यहाँ जात पात होगी
भाई चारा होगा यहाँ और हिम्मतें आबाद होगी
नारी का दर्ज़ा माँ का होगा वो भी पूजी जाएगी
कलंक अपमान ऊँच नीच की अहमियत बर्बाद होगी।
भारत भाग्य विधाता फिर यूँ कहलायेंगा
हर रात के बाद एक सवेरा भी तो आयेगा,
आओ आज तुम्हे मैं हिन्द का एक सार बताता हूँ
इस गर्वित भारत का मैं तुम्हे एक पाठ पढ़ाता हूँ ।