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Abhishek Dwivedi

Classics

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Abhishek Dwivedi

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हे राम

हे राम

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विनय - श्री राम से

प्रभु की कृपा से तुलसी दास ने,

रच डाला अनुपम श्री रामचरित मानस ।


हे राम !आन बसो मेरे मानस में,

राम नाम की महिमा का गुणगान करूँ ।

श्री राम लला जनमे अवध नगरी

नगर पुर वासी निहाल हुए ।


हे राम !जनम दीजो अयोध्या में

इस जीवन जब मै मर जाऊँ ।


छूते ही चरण शिला से

वह बन गयी अहिल्या नारी ।


हे राम !मुझे मिल जाये चरण रज

नित चंदन सा लेप लगाऊँ ।


सबको पार लगाने वाले

केवट से अनुनय

विनय करें ।


मेरी जीवन नईया केबनो जो नाविक

मैं भव सागर से तर जाऊँ ।


सबरी के बेर बड़े प्रेम से खाये

भक्त शिरोमणि का पद दिया ।


हे राम !पधारो मेरी कुटिया

मैं नित नित डगर बुहारूँ ।


मानव की भारी भूल यही कि

सुख में प्रभु को बिसराये ।


हे राम !मुझे ऐसा वर दे

मैं राम जपन ना बिसराऊँ ।

                   



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