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Nikhil Kumkum

Abstract

5.0  

Nikhil Kumkum

Abstract

हे ईश्वर तू एक है,

हे ईश्वर तू एक है,

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हे ईश्वर तू एक है,

ये धरती तेरी एक है,

ये मानव तेरे एक हैं,

सबके लिए तू एक है।

 

हे ईश्वर तू एक है,

ये सृष्टि तेरी एक है,

ये रचना तेरी अनोखी है।

ये दुनिया तेरी सोची है।

 

हे ईश्वर तू एक है,

ये जीवन तेरा एक है,

ये इ्ंसा वो मोती हैं,

हवाएँ जो पिरोती हैं।

 

हे ईश्वर तू एक है,

फिर मुझमें क्यों अनेक है,

वो मंजिल मेरी एक है,

फिर रहे क्यों अनेक हैं।

 

हे ईश्वर तू एक है,

तेरे लिए सब एक है ......


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