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हे ईश्वर, तेरा घोंसला है टूट रहा

हे ईश्वर, तेरा घोंसला है टूट रहा

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हे ईश्वर, तेरा घोंसला है टूट रहा,

चारों तरफ है दौड़ जीतने की,
हारना किसी को गवारा नहीं,
हासिल है करनी सबको मंज़िल अपनी,
राह की किसको परवाह नहीं,

है युद्ध सा अब माहौल यहाँ,
चेहरे पर झूठी मुस्कान है,
सामने से हाथ मिलाते हैं सब,
और पीठ पर करते वार हैं,

हे ईश्वर, तेरा घोंसला है टूट रहा,

ऐसे छल कपट की दुनिया में,
कौन अपना है, कौन पराया,
पैसा है यहाँ सब कुछ,
बाकी सब मोह माया,

स्वार्थ के पहिये जीवन को,
अब आगे चलाए रखते हैं,
दानी इंसान आजकल,
बस रेत में दफ़न दिखते हैं,

हे ईश्वर, तेरा घोंसला है टूट रहा,

ऊंचे पहुँचने की चाहत में,
हैं नीचे गिरते जा रहे,
बेख़बर इस बात से,
हैं अपने पेट को काट रहे,

मेहनत का नाम आज है काला,
सफेद तो डाकू की कमीज़ है,
समय के इस मोड़ पर,
सारे चोर वज़ीर हैं,

हे ईश्वर, तेरा घोंसला है टूट रहा।

 

 


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