तूने ही माँ…
तूने ही माँ…
मैं तो था पुतला मिट्टी का, जान डाली, तूने ही माँ,
मैं जो हूँ आज काबिल बना, बीज बोए तूने ही माँ.
तू ही अच्छी हैं, बाकी सब बुरे, सच, यह है देख माँ,
ओ, तेरे आँचल में है फूल खिले, बाकी सब काँटे है यहाँ.
मैं तो था पौधा मुरझाया-सा, सींच डाला तूने ही माँ,
मैं जो हूँ आज उज्जवल बना, वजह तेरी हँसी है माँ.
तेरे हाथों से दाना चावल का, याद है आता, देख माँ,
ओ, तेरे आँचल में मुझे रब दिखे, बाकी सब दानव है यहाँ.
मैं तो था पंछी जो क़ैद में, उड़ना सिखाया तूने ही माँ,
ओ, मैं जो हूँ आज चल सका, हाथ थामा तूने ही माँ.