"हद-मर्यादा"
"हद-मर्यादा"
अपनी हद में रहना सीखो
थोड़ी दौलत आते न चीखो
यह बात समंदर से सीखो
मर्यादा से बाहर न छींको
जो छोड़ देते, मर्यादा को
वो नष्ट करते, खुद ही को
थोड़ी ऊंचाई पर जा के,
न छोड़ो अपनी जमीं को
जो अपनाते है, बदी को
जो त्याग देते है, नेकी को
वो कभी न पाते खुशबू को
जो शूल देते है, सभी को
जो अपनी सीमा में रहते है
वो लोग कभी न बहकते है
अपनी हद में रहना सीखो
मर्यादावाले पाते, रामजी को
शुगर रोग का लगेगा छींटा
नहीं खा हद से बाहर मीठा
वो ही पाता है, यश जमीं को
जो अपनाता है, सत्यनीति को