STORYMIRROR

Seema Singhal

Inspirational

3  

Seema Singhal

Inspirational

हद की लकीर

हद की लकीर

1 min
267

कुछ शब्‍द चोटिल हैं, 

कुछ के मन में दर्द है अभिव्‍यक्ति का, 

हाथ में कलम हो तो 

सबसे पहले खींच लो एक हद की लकीर 

जिसे ना लांघा जा सके यूँ सरेआम 

बना लो ऐसा कोई नियम 

कि फिर पश्‍चाताप की अग्नि में ना जलना पड़े

मन की खिन्‍नता ज़बान का कड़वापन 

जिन्‍हें शब्‍दों में उतारकर 

तुमने उन्‍हें अमर्यादित करने के साथ ही 

कर दिया ज़ख्‍मी भी !


उठती टीसों के बीच 

सिसकियाँ लेते हुए शब्‍द सारे 

अपनी व्‍यथा कहते रहे 

पर सुनने वाला कोई ना था 

सबके मन में अपना-अपना रोष था 

अमन का पैग़ाम बाँटने निकले थे 

ज़ोश में खो बैठे होश 

अर्थ का अनर्थ कर दिया !!!


मन के आँगन में जहाँ

शब्‍द-शब्‍द करता था परिक्रमा भावनाओं की

जाने कब वर्जनाओं के घेरे पार कर 

बनाने के बदले बिगाड़ने में लग गया 

रचनाकार उसके स्‍वरूप को 

वक्‍़त औ' हालात की ज़रूरत एक जुटता है 

कलम ताक़त है न कि कोई कटार 

जिसे जब चाहा उतार दिया 

शब्‍दों के सीने में और कर दिया उन्‍हें बेजुबान 

अगर कहीं जरूरी है कुछ तो वो है 

हद की लकीर !!!

जिसे खींचने के लिए फिर चाहे

कलम आगे आए अथवा व्‍यक्तित्‍व !



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational