हौंसलों को रख जिंदा
हौंसलों को रख जिंदा


तू अपनी उड़ना भरता रह, रे परिंदा
ज़माना का काम तो है, करना निंदा
जो सह जाता है, जग तानों का फंदा
वही पत्थरों से नीर निकालता है, बंदा
भीख में नही मिलेगा, तुझे आसमान
हर जगह पर बैठे है, यहां पर शैतान
तू उड़ता रह पक्षी होकर सावधान
मेहनत बगैर न खिलेगा,तेरा जहान
हरपल गर खुद को रखना है, जिंदा
कर्म करना होगा तुझे नित गोविंदा
ऐसे न बन जाता चंदन वृक्ष सुगंधा
सहना पड़ता इस हेतु सर्पों का फंदा
न कर जग चिंतन से खुद को शर्मिंदा
यहां तो सबने थामा हुआ है,झूठ झंडा
सच बोलनेवालो को कहते है, सब गंदा
तू अपनी ही धुन में चलता चल, रे बंदा
बहरा होकर करता जा, तू अपना धंधा
नकारात्मक शक्लों के प्रति हो, तू अंधा
अवश्य पहुंचेगा, तू फ़लक तक परिंदा
अपने हौंसलों को रखना, बस तू जिंदा।