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दयाल शरण

Abstract

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दयाल शरण

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हैपी मदर्स डे

हैपी मदर्स डे

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मैं खुद ही, खुद से,

जरा सा दूर रहता हूँ,

सोचता कुछ हूँ

काम मैं कुछ और करता हूँ।


निकल ही जायेगा, यह वक्त,

जो मुश्किल ज़रा सा है,

तेरी तस्वीर को तककर,

मां मैं तुझसे यह बात करता हूं।


कभी कमरा बदलता हूँ,

कभी बिस्तर बदलता हूँ,

थक ना जाऊं जब तलक खुद से,

खुदी से जंग लड़ता हूँ।


जिंदगी वैसी ही है, जो चाहा था,

वही तो है, जो इक रिक्तता है,

#मां की बस तेरी कमी तो है।


दीवारें बोलती हैं, यह सुना है,

कभी मेरे घर की भी बोलेगी

तेरी तस्वीर से

मां बड़ी ऊम्मीद रखता हूँ।


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