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Swati Vats

Classics

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Swati Vats

Classics

हार बने

हार बने

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रिश्तों के उन बस्तों में,

खुशियो के उन रस्तो में,

मंगल सब त्यौहार मने,

जैसे लड़ियाँ और हार बने।


किताबो के अगले पन्नो में,

और नए कुछ खन्नो में,

रिश्ते सब साकार बने,

जैसे लड़ियाँ और हार बने।


ये रिश्ते है जो अपने है,

साथ सभी के सपने है,

मिलकर सब परिवार बने,

जैसे लड़ियाँ और हार बने।


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