"गणेश म्हारो"
"गणेश म्हारो"
सुन्ड सुण्डालों,
गणेश म्हारो,
मुस्से की सवारी ले,
म्हारे घर पधारों,
पार्वती का प्यारों,
शंकर का दुलारो,
गणेश म्हारो,
म्हारे घर पधारो,
रिद्धि सिद्धि दाता,
पानी सुपारी,
लांग इलाइची,
पे हर्षाता,
लड्डुवन का भोग पा,
मालामाल कर जाता,
ऊँ गं गणपतः नमः,
रटते ही,
सारे कष्ट हर जाता,
सुन्ड सुण्डालों,
गणेश म्हारो,
मुस्से की सवारी ले,
म्हारे घर पधारों,
दुर्वा के आसन पर,
मिट्टी का गणेश पधारों,
सुबह शाम,
आरती उतारों,
दसवें दिन,
गणपति बाप्पा मोरिया,
अगले वर्ष तु जल्दी आ बोल,
विर्सजन का झलुस निकालो,
"शकुन" अपने हृदय में गणपत बसा लो।
- शकुंतला अग्रवाल, जयपुर