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Dr sanyogita sharma

Inspirational

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Dr sanyogita sharma

Inspirational

हाँ स्त्री हूँ!

हाँ स्त्री हूँ!

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जिसने है दिया वजूद तुझे..

तेरे होने का सबूत तुझे..

जो कुर्बानी देकर जिन्दा है..

रिश्तों में कैद परिन्दा है..

अकड़ अकड़ कर जकड़ जकड़ कर 

अब और कैद तुम क्या दोगे…!

मैं वो नन्हीं चिड़िया नहीं,

जो दाना डाल जकड़ लोगे..!

ममता की महक से सराबोर..

वात्सल्य की मैं परछाईं हूँ...

हाँ स्त्री हूँ ! कोमल ह्रदय,

तन भी कोमल मैं पाई हूँ ..

लेकिन तुम याद रखो इतना 

अब फ़ख्र करो बेशक जितना...

मैं फूल नहीं जो हाथ से छूकर 

पैरों तले मसल दोगे…!

हाँ हूँ पारंगत अभिनय में,

मैं कभी क्रोध की चिंगारी

कभी शब्द मेरे हर सविनय में

है मुझ पर पहला हक मेरा,

रिश्तों की दुहाई क्या दोगे,

तन का तेरे मैं कपड़ा नहीं जो 

जब जी करे बदल दोगे..!

हूँ दयाभाव  से भरी हुई,

थोड़ी सहमी कुछ डरी हुई...

हैँ मुझमे सीता सावित्री,

दुर्गा ,काली भी रमी हुई..

है बहुत प्रताड़ित किया मुझे,

अब और दण्ड तुम क्या दोगे…!

अस्तित्व मेरा है लोहे का

 ये शीशा नहीं पटक दोगे....!


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