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Dr sanyogita sharma

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Dr sanyogita sharma

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तुम्हारे जाने के बाद

तुम्हारे जाने के बाद

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तुम्हारे जाने के बाद!

वर्षों तक गीली रही 

मेरी आँखों की कोरें,

अधूरे रहे मेरे ख्वाब,

अधूरी रही मेरी नींदें,

अधूरी रह गई हर ख्वाइश

और आधी सी हो गयी जिंदगी!

रातभर फड़फड़ाता रहा

मेरी चौखट का जलता दिया,

और खामोश रहे रास्ते!

अधूरी रही

मेरे बगीचे की बसन्त,

तूफान ने रौंद दिया

नन्ही गौरैया का घरौंदा,

रेलगाड़ी तक का 

आधा रास्ता ही तय किया 

मैंने स्टेशन पर!

दीमक खा गई मेरी डायरी ,

और तुम्हारा पता!

भीग गए अधूरे खत,

फैल गयी स्याही 

औऱ धुंधला दिए हर शब्द!

ठहर गया वक्त ,

मेरी दीवार पर टँगी 

घडी की तरह!

तुम्हारे जाने के बाद ,

नहीं रुका !

जीवन में गहराता अंधियारा!

मेरी बढ़ती उम्र की निशानियां!

पुरानी तस्वीरों पर जमा होती

गर्द की मोटी परतें!

घनाता रहा 

बियाबान जंगल!

सरपट दोड़ती रही रेलगाड़ियां 

पटरियों पर!

गुजरता रहा डाकिया दूसरे 

ख़तों के पुलिन्दे के साथ!

आते रहे बेमौसम तूफान!

आती रही बारिशें

हर दफा की तरह!

औरतुम्हारा न होना

 ठहरा रहा मेरे भीतर,

मेरे चारों ओर

मेरे जीवन और बाग में

औऱ मेरे छोटे से गांव में!

       

 


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