हाँ , मेरे साथ कोई चलता है
हाँ , मेरे साथ कोई चलता है
मैं रोज गिरती हूँ ,
कोई मुझे रोज पकड़ता है ,
हाँ , मेरे साथ कोई चलता है।
मैने महसूस किया ,
उसके अस्तित्व को ,
जब धरातल पर मेरा संतुलन बिगड़ता है ,
तब वही मेरा हाथ पकड़ता है |
मैं थके तन से कदम बढ़ाती हूँ ,
और मन में उदासी को घेरे जाती हूँ ,
पर अचानक से जोश अंदर उमड़ता है ,
वो मेरे साथ ही कदम जो भरता है |
मैं फिर व्यस्त हो जाती हूँ ,
अपनी ही धुन में गुनगुनाती हूँ ,
वो हौले से मेरी भूख को उजागर करता है ,
हाँ , वो मुझमे नई ऊर्जा प्रदान करता है।
मैं उसका शुक्रिया अदा करती हूँ ,
उसे पाने के लिए थोड़ा मचलती हूँ ,
वो अदृश्य बन मेरे अंदर ही कहीं उतरता है ,
मेरे लबों से तब एक ही नाम निकलता है |
मैं रोज़ माँगती हूँ ,
कोई मुझे रोज़ देता है ,
हाँ , मेरे साथ कोई चलता है ||