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Ruchi Madan

Abstract

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Ruchi Madan

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हाँ मेरे साथ हो तुम

हाँ मेरे साथ हो तुम

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जब ये माना है की साथ हमको रहना है

शादी के सात फेरों का भी यही कहना है

एक दूसरे का हाथ कभी छोड़ना नहीं

विश्वास हमेशा ही करना, दूसरे पे, हर हाल में।


चाहे हो गम या खुशी,

बुरे वक़्त हो कभी ना छोड़ना उसे,

हिम्मत बनना तू उसकी।


कहने को तो ज़माने में बाते हैं बहुत

पर इतना आसान कुछ भी नहीं

क्यूँ सब मुझ को ही बदलना है

इतने साल जिंदगी मैंने भी तो जी है ना।


कभी माँ बाबा ने तो नहीं की शिकायत कोई

फिर आज ऐसा क्या हो गया

कुछ नहीं सिखाया तुम को किसी ने

रोज सुनना तीर सा चुभता है मुझे।


कोई कैसे एक पल बदल सकता है

ये देख कर हैरान हो जाती हूँ कभी

जब साथ साथ चलना है

तो क्यूँ बदलूँ. केवल में ही।


कुछ तुम भी तो साथ निभाओ मेरा

किसी भी तरह चाहे हाथ बताओ मेरा

कुछ मैं करूँ तो कुछ तुम भी कर सकते हो

और कुछ नहीं तो थोड़ा सा मुस्कुरा

सकते हो।


मेरे हाथ को पकड़ के

पास बैठाओ कभी

हाँ मेरे साथ हो तुम

ये अहसास ही कराओ कभी।


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