"हाँ ! मैं स्त्री हूँ "
"हाँ ! मैं स्त्री हूँ "
कोमल हूँ
सहनशील हूँ
पर, कमजोर नही हूँ।
ईश्वर की सुन्दर अभिव्यक्ति हूँ
कैसी भी कठिन परिस्थिति हो,
मैं कभी नही डिगती हूँ।
हाँ! मैं स्त्री हूँ।
अतीत का खुद ध्यान करूँ
आलिंगन का अवमान करूँ
समस्या खुद निदान करूँ
सत्य सनातन इस दुनिया की सतत पुजारी हूँ
हाँ! मैं स्त्री हूँ, मैं स्त्री हूँ।
खुद को कभी कमजोर न समझी
जननी हूँ सम्पूर्ण भारत जगत की,
गौरव हूं
आशा हूं
मान हूँ अपनी संस्कृति की।
मैं दुर्गा ,चंडी और काली हूँ ,
दूष्टो का वध करने वाली हूँ,
इस शृस्टी की रखवाली हूँ,
हाँ! मैं स्त्री हूँ ....मैं स्त्री हूँ।
माँ-बेटी और बहू के रुप में मैं अक्सर ढल जाती हूं
इन सारे रूपों में रह हर घर की लाज बचाती हूं।
पतिव्रता और पवित्रता का अच्छा धर्म निभाती हूँ
अब न निर्भर हूं मैं किसी पे खुद मैं संसार चलाती हूँ।।
हाँ! मैं स्त्री हूं.......हाँ मैं स्त्री हूं।।