गुज़रा ज़माना......
गुज़रा ज़माना......
बेबस हिचकीयों की खुशग़वार आहट गुजरे जमाने की।
दिल की वो अधमरी सी आस़ खुद़ को आजमाने की।
तुम्हारी हसीन यादों को हमें छिपछिपके रूलाने की।
यादों को भी आदत सी हो गयी अब़ तुम्हें भुलाने की।
वो मंजर हसीन प्यार का अहसासों में महकाने की।
गुजरे जमाने से है आदत गुलिस्ताँ को बहकाने की।
वो इजहार-ए-इश्क तरन्नुम होठों पे गुनगुनाने की।
तन्हा महफ़िलों में अपनी हसीं से खिलखिलाने की।
वो मेरे तबस्सुम-ए-ख़ास को तेरे इख़्तियार में रहने की।
दर्द-ए-दिल को ऐतराज़ नहीं वो हसीन दर्द सहने की।

