गुज़रा हुआ वक़्त
गुज़रा हुआ वक़्त
गुजरा हुआ वक़्त भी सिखा गया
में कितना किमती हूँ
आज पता चला
बचपन में मौज़ ही मौज़ मोज करते थे
याद आ रही हैं वो गलियां
स्कूल के दिन
बंक के बाद खेतों में जाना
हर रोज नया नया सिखना
पापा की डांट हॅसते हुए सुनना
मम्मी को रोज बहलाना
बहुत याद आते है वो दोस्त
हर शाम खेलना कूदना और मस्ती करना
कभी कभी झगड़ना और वापिस साथ हो जाना
अब दिन कटता नहीं
और
रातो मे नींद आती नहीं
दिमाग अब पूरा खाली सा लगता है
सही यारा गुज़रा हुआ वक़्त
बहुत कुछ सिखा गया