STORYMIRROR

Brijlala Rohanअन्वेषी

Inspirational

4  

Brijlala Rohanअन्वेषी

Inspirational

गुरू

गुरू

1 min
175

वो जो हमें अंधकार से पार पाने का मुक्ति -मंत्र बतलाया,

निराशा के क्षणों में मुस्कुराकर सबका ढाढस बढ़ना सिखाया, 

बंजर भूमि को भी परिश्रम- लगन से उपजाऊ बनाना सिखाया ,

अंतिम साँस तक प्रयास करने के लिए प्रेरित किया,

मेरी आकांक्षाओं का बीज बोया,वो और कोई नहीं गुरू है मेरा

जो पग -पग का रास्ता बतालकर हमें चलना सिखाया । 

मेरे गुरू ने ही गुरूर को त्यागना सिखाया,

सत्य- असत्य,उचित-अनुचित का भेद बताया,

क्या करना मानवीयता है,कैसी दयालुता की जाती है खुद करके दिखाया ,

कर्म के पथ पर स्वाभिमान के साथ बढ़ते रहना सिखाया वो आखिर गुरू है हमारा ।       

आत्मा-परमात्मा का गूढ़ रहस्य बतलाया ।         

साक्षात् परमात्मा का प्रतिनिधित्व करता वो गुरू है हमारा ज्ञान का अमृत- पान कराया ।               

बने -बनाये रास्ते पर नहीं खुद रास्त बनाना सिखाया और

उसपर दुनिया की परवाह किये सिर्फ चलना नहीं दौड़कर उड़ान भरना सिखाया ,

वो गुरू है हमारा।


साहित्याला गुण द्या
लॉग इन

Similar hindi poem from Inspirational