गुरू
गुरू
वो जो हमें अंधकार से पार पाने का मुक्ति -मंत्र बतलाया,
निराशा के क्षणों में मुस्कुराकर सबका ढाढस बढ़ना सिखाया,
बंजर भूमि को भी परिश्रम- लगन से उपजाऊ बनाना सिखाया ,
अंतिम साँस तक प्रयास करने के लिए प्रेरित किया,
मेरी आकांक्षाओं का बीज बोया,वो और कोई नहीं गुरू है मेरा
जो पग -पग का रास्ता बतालकर हमें चलना सिखाया ।
मेरे गुरू ने ही गुरूर को त्यागना सिखाया,
सत्य- असत्य,उचित-अनुचित का भेद बताया,
क्या करना मानवीयता है,कैसी दयालुता की जाती है खुद करके दिखाया ,
कर्म के पथ पर स्वाभिमान के साथ बढ़ते रहना सिखाया वो आखिर गुरू है हमारा ।
आत्मा-परमात्मा का गूढ़ रहस्य बतलाया ।
साक्षात् परमात्मा का प्रतिनिधित्व करता वो गुरू है हमारा ज्ञान का अमृत- पान कराया ।
बने -बनाये रास्ते पर नहीं खुद रास्त बनाना सिखाया और
उसपर दुनिया की परवाह किये सिर्फ चलना नहीं दौड़कर उड़ान भरना सिखाया ,
वो गुरू है हमारा।
