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Sanjay Kumar Jain Pathik

Tragedy Inspirational Children

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Sanjay Kumar Jain Pathik

Tragedy Inspirational Children

गुरुग्राम के सहारा मॉल पर

गुरुग्राम के सहारा मॉल पर

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गुड़गांव के सहारा माल पर 

वो फिर मिल गये नये साल पर 

चीथड़े पहने वो चार गरीब बच्चे 

क्यों मुझे लगते हैं एकदम सच्चे 

वैसा ही था उनका हाल 

जहां हमने छोड़ा सा पिछले साल 


जयपुर रोड पर टोल के करीब 

जब मना रहे थे न्यू year ईव 

हमने उन्हें बर्तन धोने से रोका 

बाल श्रम कानून के तहत 

ढाबा मालिक को जेल में फेंका 


एक दूसरे की पीठ को थपथपाया 

देखो बच्चों को छुड़ाया 

पर ये बदतमीज नहीं गये स्कूल 

नये साल पर बेच रहे हैं फूल 


उन्होंने भी पहचान लिया 

और घेर लिया 

हमने गुस्सा कर मुंह फेर लिया 

स्कूल तुम लोग क्यों नहीं गये

क्या इसीलिये थे छुड़ाये गये


वो मुस्कराकर बोला 

नहीं ये पहली बार 

लोगों ने हमें छुड़ाया है कई बार 

कभी मजदूरी से कभी ढाबे से 

कार की सफाई से और 

हर नये साल से 


आज भी तुम बंद करा दोगे हमें

फूल बेचते इस माल से 

पढ़ाई तब होती है 

जब पेट भरा हो 

वो १२ साल का बच्चा स्कूल नहीं जाता

जो घर का मर्द सबसे बड़ा हो


अगर वास्तव में चाहते हो हमें पढ़ाना

तो छोड़ दो कानून बनाना

पहले हमारे घर में रोटी लाना

हमारी आबरू को बचाना

फिर स्कूल भेजना और पढ़ाना

तब नया साल हमारे साथ मनाना


हैपी न्यू इयर



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