गुरु वंदना
गुरु वंदना
गुरुदेव के पावन चरणों में
जो भी शीश झुकाता है
ज्ञान का अनमोल खजाना
वो ही तो पाता है।
गुरुदेव की अमृतवाणी
जो निज जीवन अपनाता है
सारे जहां की खुशियां
कदमों में अपने पाता है।
दिव्यज्ञान की ज्योति जला
उर का तम मिटाता है
सही-गलत का भेद
गुरुदेव ही बताता है।
मां-बाप देते हैं जन्म
गुरुदेव पहचान दिलाता है
भवसागर से पार उतरना
गुरुदेव ही सिखाता है।
गुरुदेव के पावन चरणों में
जो भी शीश झुकाता है
जीवन की बाधाओं से
सहज मुक्ति पा जाता है।