गुरु नाम।
गुरु नाम।
गुरु नाम का रत्न पाकर, जीवन मेरा धन्य हो गया।
हर पल,हर श्वास उन्हीं की, ऐसा उनका साथ जुड़ गया।।
हर सूरत में उनको निहारुँ,मन में सदा उनको ही विचारुँ।
श्रवण,मनन उनका ही भाता, संसार तजूँ पर गुरु न विसारुँ।।
जो सुख मिलता उनके भजन में, कहाँ है इतनी अमीरी में।
भला-बुरी सब की नीति लागै, मजा है उनकी हजूरी में।।
प्रेम नगरिया उनकी है निराली, कहाँ फँसा तू महलों में।
धन-दौलत किसी और की होगी, क्या रक्खा मगरुरी में।।
गुरु सुमिरन को कंठ लगा ले, जीवन अपना अमर बना ले।
" नीरज, श्रद्धा, सबूरी को अपना ले, "गुरु नाम, की महिमा गाले।।