गुरु के रूप
गुरु के रूप
ज़िन्दगी की इस दौड़ में
हम ये आयाम लिखते हैं
विद्यार्थी है जनाब
अपने गुरु का सम्मान लिखते हैं।
इस बात की भी एक खास वजह है।
जो आज यहाँ की हमने बया है।
उंगली पकड़कर चलना
भले हमें माँ बाप ने सिखाया।
पर उनका हाथ छूटने पर
सही रास्ता आप ही तो ने तो बताया।
बोलना भले हमें माँ बाप ने सिखाया।
परन्तु सही शंब्दो का चुनाव तो
हमें आप ही ने सिखाया।
कलम और किताब भले ही
माता-पिता ने ख़रीदे हो।
पर उनका इस्तेमाल करना
आपने ही सिखाया।
माता पिता ने नए लोगों से
मिलना सिखाया।
पर लोगों की उस भीड़ को
परखना आपने सिखाया।
ठोकर खा गिरने पर
माँ बाप ने हाथ बढ़ाया।
पर बिना किसी सहारे के फिर
उठ खड़ा होना आपने सिखाया।
आप सिर्फ गुरु नहीं रहे
बल्कि दोस्त बने,
माता पिता बने,
बड़ी बहन बने,
बड़े भाई बने।
इसीलिए तो कहते हैं जनाब
ज़िन्दगी की इस दौड़ में
हम ये आयाम लिखते हैं।
विद्यार्थी है जनाब
अपने गुरु का सम्मान लिखते हैं।