बोलो आज़ादी
बोलो आज़ादी
उम्मीदों की रूहानियत से मुलाकात है
सैकड़ों दिलो में बसने वाला एहसास है
आज़ादी एक जज़्बा नहीं जज़्बात है।
माटी की धूल से बना सिर पे सजा ताज है
आँखों में हर पल चमकता एक ख़्वाब है
आज़ादी एक जज़्बा नहीं जज़्बात है।
साँसों में उबलती एक आग है
सब छुपा ले खुद में वो झाग है
आज़ादी एक जज़्बा नहीं जज़्बात है।
मजबूत कन्धों पे खड़ी एक बिसात है
एक दूजे का हाथ थामे पूरी बारात है
आज़ादी एक जज़्बा नहीं जज़्बात है।
हर कदम बढ़ रहा वो सैलाब है
सब घुल जाये जिसमे डूबकर वो बाढ़ है
आज़ादी एक जज़्बा नहीं जज़्बात है।।