गुमसुम हो क्यों
गुमसुम हो क्यों
क्यों आज चेहरा
उदासीन लग रहा है,
लफ़्ज़ भी कहीं
छुपकर बैठे हुए लग रहे है,
नयन तुम्हारे किसी
सोच में डूबे हुए लग रहे है,
मन कहीं पर और
दिल कहीं ओर लग रहा है,
कुछ छुपा रहे हो तुम
मुझसे आजकल वरना,
यूँ गुमसुम बैठने वालो
में से तुम हो नहीं।
