गुलों से प्यार
गुलों से प्यार
राहों को गुलों से ही अब तो सजाया जाये
बैठा है खफ़ा होकर के जो बुलाया जाये
टूटेगी अदावत की दीवारें सभी दिल से
की हाथ मुहब्बत से ही अब मिलाया जाये
उल्फ़त की रवानी दिल में ही बढ़ेगी हर पल
दिल से ही गिला शिक्वा अपनें भुलाया जाये
तू जी जिंदगी अपनी हर पल ख़ुशी से अब तो
की जुल्म उसी का दिल से मिटाया जाये
छोड़ो भी नजाक़त की आखें दिखाना मुझको
आओ भी मुहब्बत का ही गीत गाया जाये
तू मुझसे बहुत दिन के ही बाद मिला है यारा
ए दोस्त ज़रा हाले दिल भी सुनाया जाये
ग़म झेल लिए बचपन से ख़ूब तूने देखो
आज़म भुलाकर दिल से ग़म मुस्कुराया जाये।
आज़म नैय्यर