सौरभ मिश्रा
Abstract Romance Fantasy
मैं
यह
गुलाब
उसे देने
लाया हूं आज
जिसे भेजा गया
था मेरी जिंदगी में
हर शाम को भोर
करने के लिए
अब बताओ
तुम जरा
रहता
कहां
वो
माँ मैं नहीं ...
यादों की लाइब...
चांद बन बैठा ...
एक ही दिन की दूरी दोनों के बीच में, फिर भी कहाँ वे एक दूजे को अपनाए हैं । एक ही दिन की दूरी दोनों के बीच में, फिर भी कहाँ वे एक दूजे को अपनाए हैं ।
तेज़ बारिश ने उन्हें खूब सताया, चिलचिलाती धूप ने झुलसाया, तेज़ बारिश ने उन्हें खूब सताया, चिलचिलाती धूप ने झुलसाया,
जो साल चला गया उसकी क्या सोचे अब, २०२२ की शुरुआत बेहतरीन होनी चाहिए। जो साल चला गया उसकी क्या सोचे अब, २०२२ की शुरुआत बेहतरीन होनी चाहिए।
हाँ, एक फर्क तो है वो जलता दूसरों के लिए हम जलते दूसरों से है।। हाँ, एक फर्क तो है वो जलता दूसरों के लिए हम जलते दूसरों से है।।
दे दो सबको सुख अपार। माँ की महिमा अगम अपार।। दे दो सबको सुख अपार। माँ की महिमा अगम अपार।।
हम अपने में ही मस्त हैं दुनिया की खबर पता नहीं हमें। हम अपने में ही मस्त हैं दुनिया की खबर पता नहीं हमें।
तन ढकने को न कंबल न ही रजाई पास है इस भीषण ठंड में बस प्रभु की ही आस है। तन ढकने को न कंबल न ही रजाई पास है इस भीषण ठंड में बस प्रभु की ही आस है।
हर किसी को होता है एक दिन बदलना। हर किसी को होता है एक दिन बदलना।
आज रोने के लिए खुशी के हालात ही काफी है। आज रोने के लिए खुशी के हालात ही काफी है।
आने वाली पीढ़ी को देंगे अनमोल उपहार पेड़, पानी, हवा, बिजली, जंगल बचायेंगे।। आने वाली पीढ़ी को देंगे अनमोल उपहार पेड़, पानी, हवा, बिजली, जंगल बचायेंगे।।
वही किरदार मुझे फिर से, मेरी कहानी सुना गया।। वही किरदार मुझे फिर से, मेरी कहानी सुना गया।।
दोस्त भी बदल गए, सब कुछ बदल गया २०२१ जाते जाते लोगो का पहचान भी करा गया। दोस्त भी बदल गए, सब कुछ बदल गया २०२१ जाते जाते लोगो का पहचान भी करा गया।
शुक्रिया 'माही' करे, खुदको वार कर जैसे राखे माहिया, रहते जाइए। शुक्रिया 'माही' करे, खुदको वार कर जैसे राखे माहिया, रहते जाइए।
विलुप्त विषाद अश्रु हो मन मे केवल उल्लास हो। विलुप्त विषाद अश्रु हो मन मे केवल उल्लास हो।
सूरज हूँ, किरण हूँ, लोम हूँ, विलोम हूँ, लोक हूँ, परलोक हूँ। सूरज हूँ, किरण हूँ, लोम हूँ, विलोम हूँ, लोक हूँ, परलोक हूँ।
आज भी ठीक वैसे ही खुश होकर एक बार फिर से खड़ा हूँ। आज भी ठीक वैसे ही खुश होकर एक बार फिर से खड़ा हूँ।
मुझे दे गया हिदायत, वो हद में रहने की, मुझे दे गया हिदायत, वो हद में रहने की,
मन से, वचन से, कर्म से, वे प्रभु भजन में लीन थे विख्यात ब्रह्मानंद नद के, वे मनोहर मीन मन से, वचन से, कर्म से, वे प्रभु भजन में लीन थे विख्यात ब्रह्मानंद नद के, वे ...
सभी के संजोए हुए सपनों को तुम पूरा करना, हर एक को उसकी मंजिल तक पहुंचाना। सभी के संजोए हुए सपनों को तुम पूरा करना, हर एक को उसकी मंजिल तक पहुंचाना।
ये मैं हूँ लगूँ सबको यहाँ कभी पहेली कभी कहानी। ये मैं हूँ लगूँ सबको यहाँ कभी पहेली कभी कहानी।