ग्रीन धरा इक ड्रीम
ग्रीन धरा इक ड्रीम
हरा रंग है संप्रभुता का संपन्नता को करे रिप्रेजेन्ट,
सब के सब मालिक बन गये जबकि हम सब हैं टेनेन्ट,
प्रतिवर्ष धरती का ताप बढ़ रहा नापो लगा के थर्मामीटर,
वन उपवन सब नोच नाच कर दया दिखते मानव चीटर,
पेड़ उगाओ धरा बचाओ स्कूलों में दिया गया यह स्लोगन,
पेड़ काट कर कागज पर लिखा बचा़ओ, वाह क्या चलाया मोशन,
ऐ़ सी कमरों में बैठकर कर रहे ,क्यों ताप बढ़ रहा इस पर डिस्कशन,
खुद की पीठ खुद से थपथपाकर खुद का ही कर रहे ऐप्रीसिऐशन,
वाह रे वाह प्रभु तुमने कैसी ये दुनिया बना़ई कलरफुल,
रक्त पिपासु बन कर समझ रहे खुद को बड़ा पावरफुल,
कुछ भी चल रहा हो धरा पर हमको क्या कह लगते कूल,
जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ सबको बनाते अप्रैल फूल,
पेड़ पौधों से ही है हरियाला जीवन स्कूलों में पढ़ते लेसन,
करो सुरक्षा स्वयं धरा की कब जागेगा हम में ये पैशन,
जागो जागो कदम बढ़ाओ इससे पहले कि हो जाये लेट,
पहले आप पहले आप करते बहुत हुआ अब इसका वेट,
जीव जंतुओं का भी घर है ये कब जागेगा हममें नेबरहुड,
जंगल के जंगल नष्ट हो गये देख रहे तमाशा बन कर वुड,
जब जागो तभी सबेरा बने हरा भरा अपना। ये नेशन ,
कोई तो अच्छा काम कर रहे इसका मिलेगा सैटिसफैक्शन,
नवरात्री नव दुर्गा आईं बाहर भीतर मौसम हुआ है प्लीजेंट,
आओ हम सब पेड़ लगायें बन कर ना रह जाये स्टेटमेंट,,
हरियाली धरती होगी मॉं के रूपों में यह भी है एक फेस,
कहीं उजाड़ ही ना बैंठें नीड़ ,लगा कर आधुनिकता की रेस,
वर्ष प्रति वर्ष ताप बढ़ रहा समुंदर से निकलता स्टीम,
पॉल्यूशन को रोकना होगा तभी "ग्रीन धरा " की पूरी होगी ड्रीम,
एक एक से बनता ग्यारह साथ रहें तो बनेगी यूनिटी,
फिर से संप्रभुता लौटानी है हम सबकी अब यह है ड्यूटी...!!
