STORYMIRROR

Chhavi Srivastava

Abstract

4.5  

Chhavi Srivastava

Abstract

गरीबी

गरीबी

1 min
395


एक लड़की थी, सुन्दर थी, सुशील थी,

हर काम में योग्य थी।

पर उसकी लाचारी यह थी की वह एक गरीब की बेटी थी,

इसीलिए वह कुंवारी थी।


बड़ी मुश्किल से मिला उसको एक वर,

लेकिन मांग उसकी और उसके परिवार की बहुत भारी थी,

बेटी से अपने बाबुल की बातें भी कहाँ छिपी थी,

इसीलिए वह उनसे भी न कुछ कह पाई थी।


दहेज़ की मारी बेटी चिर निंद्रा में अब चली गए थी,

मांग उसकी सजी थी,

चारों तरफ यही शोर था कि सुहागन ही तो मरी थी,

सन्नाटा था तो सिर्फ बाबुल में था जिस घर की वह बेटी थी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract