गर जिंदा रहेंगे तो
गर जिंदा रहेंगे तो
गर जिंदा रहेंगे तो फिर मिलेंगे
दो कदम साथ-साथ चलेंगे।
दिए थे जो जख्म इस कुदरत को
उन्हें मिल-जुल कर सिलेंगे।
इतना महंगा साबित होगा, बदन इसका छीलना
घर-मकां तो हमारे ही हिलेंगे।
उजाड़ दिए जिस चमन के सारे गुलशन
हमारे अँगना में भी फूल कहाँ खिलेंगे।
गर अभी भी जगाया नहीं सुप्त रूह को तो
मिट्टी के खिलौने, जल्द मिट्टी में ही मिलेंगे।
गर जिंदा रहेंगे तो फिर मिलेंगे
दो कदम साथ-साथ चलेंगे।