गो माता
गो माता
कविता
गौमाता
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करके सेवा गौ माता की
स्वर्ग भोगने वाला बन।
फिर तू चाहे बन कबीर
नानक बन भले निराला बन।।
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कर ले गो सेवा तू पगले
करना है जो चारों धाम।
पाएगा तू सेवा का फल
पूजा भी होगी अविराम।।
गो भक्ति का आंज के काजल
जग के लिए उजाला बन।
करके सेवा------
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दूध गाय का अमृत जैसा
क्या इसका है भान तुझे।
गोरस गली गली में घूमे
करना है रसपान तुझे।।
रोग शोक मिट जाएं सारे
शक्तिमान मतवाला बन।
करके सेवा़-----
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पावन है गो मूत्र यकीनन
सोने का आगार है यै।
गोबर किस्मत है किसान की
कभी गैस भंडार है ये।।
बन जा तू धनवान धरा पर
देश प्रेम की ज्वाला बन ।
करके सेवा-----
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गोपालन जो करता है,
गोपाल वही बन जाता है।
गो का वर्धन करने वाला
गोवर्धन कहलाता है।।
याद करेगी तुझे पीढ़ियाँ,
गोवर्धन गोपाला बन।
करके सेवा------
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गाय नहीं ये सिर्फ गाय है,
देवालय तू मान इसे ।
अनगिन देव बसे हैं इसमें,
पूजा कर पहचान इसे।।
दिल को धोले खड़ी दिखेगी,
गैया तुझे शिवाला बन।
करके सेवा------
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वृषभ देव क्या भुला सकोगे,
यह किसान का संबल है।
चक्र घूमता इसके कांधों,
पर विकास का हर पल है।।
तुझे निहारे धरती मां ये,
तू इसका रखवाला बन।
करके सेवा-------
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"अनंत" तेरी किर्ती पताका,
ऊंची होती जाएगी।
मंज़िल खुद ही कदम चूमने,
तेरे द्वार पर आएगी।।
गाय रही तो देश रहेगा,
पाल इसे गोशाला बन
करके सेवा -----
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अख्तर अली शाह "अनंत "नीमच
9893788338