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Dinesh paliwal

Classics

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Dinesh paliwal

Classics

।। गणेश ।।

।। गणेश ।।

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विघ्नहर्ता मेरे गणपति,

मेरे घर आज पधारे हैं,

चहुँओर हुआ उल्ल्हास,

लंबोदर कितने प्यारे हैं।।


आज गजानन एकदंत,

मेरे घर में मेहमान हुए,

दस दिन सेवा वक्रतुंड की,

हम इनके यजमान हुए।।


सिद्धिविनायक हे प्रभु मेरे,

तुम भालचंद्र सुंदर प्यारे,

नाम जपूँ गौरिसुत कितने,

हर रूप लगो बस तुम न्यारे।।


मोदक का नित भोग लगाके,

कर मंगलमूर्ति का अभिषेक,

सिद्धिदाता सब भली करेंगे,

जीवन से जाएं सब क्लेश।।


हे भीम हे ईशान पुत्र तुम,

इतना बस दो मुझको वरदान,

हर वर्ष पधारो आंगन मेरे,

हर लो मेरे सब दुख अज्ञान।


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