गंगा मैया
गंगा मैया


बहुत भाती है गंगा मईया की आरती !
गाते मिल जुल सब सुर में गाएं भारतीय !!
ओम जय गंगा माता ...
जो कोई तुझको ध्याता
मन वांछित फल पाता !
दिव्य ऊर्जा से युक्त माँ ...
निर्मल नील जल का दरस पाता !!
तन मन...आत्मा और अंतर्मन..
फिर ...
तृप्त हो जाता !!
नीली रोशनी से दीपक जलते .
मानो लगता कि तारे नदी पर चमकते !
और आशा की किरन से वह दमकते..
अशांत मन भी यहाँ शांति पाता !
श्रमित क्लान्त मन नव ऊर्जा से भर जाता !
ओम जय गंगा माता !!
माँ गंगा सबकी सुनती है पुकार ..
इसलिए तो इसके किनारे तीर्थ कई हज़ार !
मनोकामना की गाँठ को कोई बाँध कर यहाँ आए !
>तो कोई शुभ कार्य हेतु हवन पूजा आरती करवाए ..
शांति से होते सब काम ..मानो यहाँ है कृष्ण और राम !
मानो यहाँ हो शिव का पावन धाम !
सभी देवी देवताओं की यहाँ है छाँव !
गंगापुत्र हैं जो जीविका नित तुम्हारे नील जल से पाएँ !
झट से पट से तेरी गोद में से सिक्के कई खोज ये लाएं!!
फूलों को ,फलों को ...को रेज़गारी को बेचने वाले नित
अपना रोजगार तेरी वजह से पाएँ ...
तेरे निर्मल जल का क्या कहना !
जो शुद्धता की कसौटी पर आज भी खरा है !
हे गंगा मैया तेरे नीले जल कारण ही देश हरा है !!
तुमसे ही जंगल हैं …जमीन है ..बहार है ..
समस्त भारत वासियों को तुमसे सदा प्यार है !!
ओम जय गंगा माता !