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Vijay Kumar parashar "साखी"

Romance

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Romance

गले लगना

गले लगना

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गले लगने से भी किसी का गम दूर होता है

ऐसा तब होता है,जब वो प्यार में चूर होता है,

यूँ तो बाग में फूल खिलते एक नहीं हज़ार हैं

पर फूल गुलाब का ही किसी दिल का नूर होता है,

ये गले लगना भी तो चंदन के लिपटना ही है

गले मिलने से ये दिल खुश्बू से भरपूर होता है,

चाहे ज़ख्म ही क्यों न हो जाये क़भी साखी तेरे

गले लगना मत छोड़ देना कभी भी तू,मेरे,

गले लगने से तो शत्रु का दम्भ चकनाचूर होता है।



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