गज़ल
गज़ल
अंधेरा हर जगह तुम शम्मा' बनके आ जाओ
मेरे जीवन में तुम गुलाब बनकर समा जाओ
जब भी मिलने का "मन" हो मेरी जाने जाना
सुनहरी धूप बन मेरे दिल में तुम उतर जाओ
मेरी 'याद' तुम्हें जब हद से ज्यादा आने लगे
मेरे दिल में तुम अपना घर' बनाने आ जाओ
'अकेला-पन' तुम्हें जब भी कभी सताने लगे
अपना 'घर' समझ तुम इस घर में आ जाओ
अब 'चन्द' गीतो में ही तुम्हें पढ़ लेगा धीरज
'जेह्नो-दिल' में तुम किताब बन समा जाओ।