Dheerendra Verma
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आया रे आया रे ऋतुराज,
मनाओ रे सखी वसंत पंचमी,
कोयल की कुहू कुहू की बोली,
पतझड़ बीता, भई हरी भरी डाली।।
बड़ा ही सुहाना मौसम लागे,
चारों दिशाओं हरियाली छाए,
फैला चहु दिश संगीतमय वादन,
'माता' सरस्वती का है अभिवादन।।
वसंत पंचमी
गीत
गज़ल
मुक्तक
हरि स्तुति
है अपना भारत ...