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Prem Bajaj

Romance

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Prem Bajaj

Romance

गज़ल --- सिखाया नहीं जाता

गज़ल --- सिखाया नहीं जाता

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कांटों को चुभना सिखाया नहीं जाता 

फूलों को खिलना सिखाया नहीं जाता।


कोई बन जाता है खुद-ब-खुद अपना 

किसी को अपना बनाया नहीं जाता।


कोई बस जाता है दिल में दिलबर बन

किसी को दिल में बसाया नहीं जाता।


ख़ुशी और ग़म में आंखें हो जाती है नम 

आंखों को भीगना कभीसिखाया नहीं जाता।


प्यार-इश्क तो खुदा की दी हुई नेमत है

प्रेम का पाठ किसी को पढ़ाया नहीं जाता।


किसी को चाहकर दर्द शगुन में मिलता है 

किसी की चाहत को दर्द बनाया नहीं जाता।


नज़र खुद ही ओढ़ लेती है हया का पर्दा 

इन पलकों को शर्माना सिखाया नहीं जाता।


 ख़ास बना कर कोई बन जाता है ख़ास यारों,

हर किसी को यूं ख़ास बनाया नहीं जाता।


जब हो इश्क खुद ही आ जाती है नज़ाकत 

हुस्न को इतराना *प्रेम* सिखाया नहीं जाता।


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