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गजल मोहब्बत का सिकंदर

गजल मोहब्बत का सिकंदर

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दर्दे-दिल का मैंने समंदर छिपा रखा है,

तेरा नाम दिल के अन्दर लिखा रखा है,

तेरी यादों के साये बाहों में भरकर मैंने,

जख्मी दिल मस्त कलंदर बना रखा है।


तुम यकीन करो मेरा कोई जरूरी नहीं,

तूने मेरी वफा का बवंडर बना रखा है,

दिल दांव लगा दिया मैंने तुम्हारी खातिर,

मेरी इल्तिजा को खता भयंकर बना रखा है।


कभी झांकना मेरी आँखों की गहराई में,

इंतजार में मखमली चद्दर बिछा रखा है,

ख्वाहिश मेरी कोई मुकम्मल हो न हो इलाही,

उनकी चाहत क्या मुकद्दर बना रखा है।


रूठना हक है तुम्हारा मान जाओगे है यकीन,

दिल लगा मोहब्बत का सिकंदर बना रखा है।


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