गीतिका
गीतिका
प्रीत की रीत निभाता भारत।
इक नई आस जगाता भारत।।
जातियाँ धर्म अनेकों इसमें।
वस्त्र हैं भिन्न सुहाता भारत।।
ओढ़नी भोर लिए चलती है।
लालिमा नित्य दिखाता भारत।।
वाद्य के यंत्र बजाती ऋतुएँ।
प्रेम के गीत सुनाता भारत।।
राष्ट्र पर जान लुटाएँ सैनिक।
गर्व से शीश उठाता भारत।।
दीन की भूख मिटाए पहले।
नेह की धार बहाता भारत।।
आपदा घेर हमें लेती जब।
कष्ट आघात मिटाता भारत।।
जो उठा आँख अहं से देखें।
कर अहं चूर झुकाता भारत।।
परमजीत सिंह कोविद की रीत निभाता भारत