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Mani Aggarwal

Inspirational

5.0  

Mani Aggarwal

Inspirational

बबूल

बबूल

1 min
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बबूल तुझसे ही मिला है,

मुझको जीने का सहारा।

तू कठोर पर बहुत न्यारा।


रूप से गुण होते उत्तम,

तुम सदा मुझको बताते।

मान पाता परोपकारी,

सर्वस्व दे मुझको सिखाते।

क्या किसी के काम आए,

जो बना है अंबु खारा।

तू कठोर पर बहुत न्यारा।


गोंद तेरी शिराओं का,

वो भी हम उपयोग करते।

छाल, फल-फूल औ पत्ते,

कितनों के दुख ताप हरते।

गोल पीला फूल तेरा,

मन को लगता अधिक प्यारा।

तू कठोर पर बहुत न्यारा।


ध्यान जब भी तुम पर गया है,

एक सबक सीखा नया है।

स्वार्थी दुनिया में तुम को भी,

स्वार्थवश ही पूछा गया है।

देख तुमको धीर पाता,

मन मेरा दुनिया का मारा।

तू कठोर पर बहुत न्यारा।


शूलों से तुमने सिखाया

निज मान हेतु सजग रहना।

जो उठे तिरछी नजर तो,

घाव दे सकती हूँ कहना।

मैंने भी निज रक्षा हेतु,

मंत्र ये ही मन में धारा।

तू कठोर पर बहुत न्यारा।


तुमने ही सिखलाया साथी,

परिस्थिति अनुकूल रहना।

मेघ बरसे या हो सूखा,

आत्मबल से सबको सहना।

तेरी सीख पर चली जब,

कश्ती नें पाया किनारा।

तू कठोर पर बहुत न्यारा।


कोई शिकवा न किया है,

जब हुआ उपहास तेरा।

देख मैं भी शांत हूँ जब,

तोड़ा दिल दुनिया नें मेरा।

साथ यूँ ही मेरे रहना,

आभार दिल से है तुम्हारा।

तू कठोर पर बहुत न्यारा।



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